तपस्या तो साधु संतो की भी खंडित हो जाती है ता आम आदमी की बात ही क्या है और फिर अगर व्यक्ति राजनीति में जुड़ा हो और राजनीति भी देश के शिखर से जुड़ी हो तो फिर तपस्या को पूरा करना नामुमकिन सा लगता है। लेकिन इसे पूरा कर दिखाया है भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने।
दरअसल 21 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय को यह बोध हुआ था कि इंदौर में पितृदोष है औश्र पित्रेश्रवर पर्वत के उपर जब तक भगवान बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित नहीं होगी, यह दोष दूर नहीं होगा। बस वह दिन था और आज का दिन कैलाश विजयवर्गीय ने अन्न को त्याग दिया।
शनिवार 29 फरवरी करे कैलाश विजयवर्गीय का प्रण पूरा हुआ। हनुमान प्र्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कैलाश ने अन्य ग्रहण किया। सुनने में तो एक कहानी सी लगती है लेकिन यह वास्तविकता है