140 साल पुराना महल, तकरीबन चार सौ कमरे, जिसमें से अब चालीस को म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है. भोजन परोसने के लिये चलती हुई आती चांदी की ट्रेन. ऐसी ढेरों बातें हैं जो इस आलीशान महल के लिए प्रचलित हैं, सच हैं और सभी जानते हैं. पर क्या आप जानते हैं इस महल की छत पर कभी हाथियों का डेरा था. दस से ज्यादा हाथियों का आशियाना रहा है ये महल. जी हां बिलकुल सही सुन रहे हैं आप ये उस वक्त की बात है जब ये महल बन कर तैयार हो गया था और अंदर की साज सज्जा जारी थी. लेकिन तत्कालीन महाराज सिंधिया महल में शिफ्ट हों उससे पहले ही यहां हाथियों का आशियाना बन गया. ये हाथी पूरे एक सप्ताह सिंधिया पैलेस में ही रहे. पर इसके पीछे भी एक खास वजह थी. जिसके चलते सिंधिया राजघराने के लोगों से पहले यहां हाथियों को रहना पड़ा. वो भी इस भव्य महल की छत पर. उसका कारण है सिंधिया पैलेस में लगा ये जगमगाता हुआ भारी भरकम सा झूमर. दरअसल इस झूमर का वजन है पैंतीस सौ किलो यानि तीन हजार पांच सौ किलो. लेकिन छत में इस झूमर को सहन करने की ताकत है या नहीं ये परखना भी जरूरी था. इसलिए महल की छत पर सात दिन तक हाथियों को रखा गया. जब महल की छत पर कोई फर्क नहीं पड़ा और उसकी मजबूती की तसल्ली हो गई. उसके बाद ही महल में ये भारीभरकम झूमर टांगा गया. हाथियों के इम्तिहान में पास हुई वो छत आज भी उस झूमर का बोझ आसानी से उठा रही है.