खाली खजाने के कारण हर महीने हजारों करोड़ का कर्ज लेने वाली कमलनाथ सरकार ने सभी विभागों को अपनी कमाई खुद करने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल टूरिज्म के जरिए कमाई करने का प्लान बनाया है। हालांकि अभी खुद प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों की स्थिति बदहाल है लेकिन कहा जा रहा है कि कायाकल्प योजना के तहत मेडिकल कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पतालों का कायापलट हो जाएगा। इन अस्पतालों में इंटरनेशनल स्टेंडर्ड का इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा ताकि विदेशों से इलाज करवाने के लिए आने वाले टूरिस्ट देश के बड़े अस्पतालों के साथ ही मध्यप्रदेश के भी इन सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाएं और प्रदेश की कमाई बढ़ सके। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्लान के मुताबिक अब मेडिकल कालेजों से जुड़े सरकारी अस्पतालों में अलग-अलग केटेगरी के प्राइवेट वार्ड बनवाए जाएंगे। इलाज के लिए आधुनिक उपकरण और मशीनें लगवाई जाएंगी और हाईली ट्रेंड स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। अस्पतालों की बिल्डिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर के अलावा साफ-सफाई और हाइजीन भी बड़े प्राइवेट अस्पतालों के समान रखी जाएगी। मध्यप्रदेश में इस समय 13 मेडिकल कॉलेज हैं और इन सभी में एक साथ इसकी शुरुआत किए जाने की संभावना है। कायाकल्प अभियान पर किए जाने वाले खर्च का कुछ हिस्सा राज्य सरकार का होगा जबकि बाकी पैसा मेडिकल कॉलेज को अपने सोर्सेस से जुटाना पड़ेगा। हालांकि सबसे बड़ा सवाल ये है कि खुद चितित्सा शिक्षा विभाग की मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ को अपने अस्पतालों पर भरोसा नहीं है और वे हाथ के फ्रेक्चर का मामूली इलाज करवाने दिल्ली चली गई थीं तो किस भरोसे वे प्रदेश और देश के बाकी नेताओं और हाई प्रोफाइल लोगों को प्रदेश के अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए आने का भरोसा कर सकती हैं। विदेशी टूरिस्ट तो अभी दूर की कौड़ी है।