मध्यप्रदेश के कांग्रेस ऑफिस जाएं तो अपना विजिटिंग कार्ड जरूर ले जाएं. खासतौर से अगर आप पत्रकार हैं. तो सिर्फ माइक आईडी रखने से काम नहीं चलेगा विजिंटिंग कार्ड जरूर होना चाहिए. पीसीसी में इस नए नियम का ऐलान तो नहीं हुआ लेकिन जिस तरह का बर्ताव कैबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे की प्रेसकॉफ्रेंस में हुआ. उसे देखकर यही लगता है कि इस अघोषित नियम का पालन नहीं किया तो पत्रकारों की ही शामत आ जाएगी. पांसे की पत्रकार वार्ता में वो तो मीडिया को संबोधित कर रहे थे. लेकिन शोभा ओझा को टेबल पर रखी माइक की कतार परेशान कर रही थी. एक एक माइक को गौर से देखती रहीं और हर चैनल के नाम पर नजर भी दौड़ाई. चेहरे के हावभाव साफ बता रहे थे कि कुछ नाम ओझा जी को खटक रहे हैं. पर क्यों इसका जवाब तो नहीं मिला. पर कुछ ही देर में उनका एक नुमाइंदा पत्रकारों के बीच पहुंच कर विजिटिंग कार्ड कलेक्ट करने लगा. अब इस पूरी कसरत के मायने क्या हैं ये तो शोभा ओझा ही बता सकती हैं. पर ये तो तय है कि यूं ही केजुअली कांग्रेस ऑफिस के चक्कर काटने वाले पत्रकारों को जरा सोच समझ कर पार्टी कार्यालय जाना होगा. भई अब जिसकी सरकार है उसके कायदे कानून तो मानने ही होंगे. सही लगें या गलत.