मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 26 मार्च तक स्थगित होने के बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. जिसके बाद ये माना जा रहा था कि आज यानि कि 17 मार्च को कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट देना होगा. दूसरी तरफ राज्यपाल ने भी उन्हें 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए थे. जिसके जवाब में सीएम कमलनाथ ने उन्हें एक लेटर लिख कर स्थिति स्पष्ट की है. जिसमें उन्होंने जवाब दिया है कि फ्लोर टेस्ट से उन्हें दिक्कत नहीं है पर ये फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है. दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट का तोड़ भी कमलनाथ सरकार ने ढूंढ लिया. शिवराज के नहले पर दहला तब पड़ गया जब कमलनाथ सरकार की ओर से कोई वकील अदालत में पेश ही नहीं हुआ. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया और अगले दिन की सुनवाई का समय दिया है. इस तरह से फिलहाल कमलनाथ सरकार को डेमेज कंट्रोल के लिए थोड़ी और मोहलत मिल गई है.