पिछले एक पखवाड़े से चला आ रहा महाराष्ट्र का सियासी गतिरोध अंततः आज टूट गया. कांग्रेस से चिट्ठी मिली और शिवसेना ने एक बार फिर महाराष्ट्र में इतिहास रच दिया. पूरे बीस साल बाद शिवसेना का आदित्य यानि कि सूरज महाराष्ट्र में उदय हो रहा है. दो दशक के लंबे अंतराल के बाद शिवसेवा का मुख्यमंत्री महाराष्ट्र पर काबिज होगा. सहयोग देंगे एनसीपी और कांग्रेस. जिसकी तैयारी थी वो नहीं हुआ. मतबल बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन से सरकार नहीं बन सकी. 56 इंच के सीने वाली पार्टी पर शिवसेना की 56 सीटें भारी पड़ गईं. और जो नहीं होना था. जिसके बारे में कोई राजनीतिज्ञ कल्पना भी नहीं कर सके थे. वो हो गया. बहुत सोच विचार कर. बहुत रायशुमारी करने के बाद कांग्रेस ने वो किया जो उसकी विचारधारा कभी नहीं करती. सेक्युलर कांग्रेस ने हिंदुवादी शिवसेना को समर्थन दे दिया. और सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया.