अबकी बार मत चूको महाराज!

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर जिस तरह से सिंधिया समर्थक ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम आगे बढ़ा रहे हैं और लामबंद हो रहे हैं उसके बाद अब सिंधिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है। अगर इतने जतन के बावजूद सिंधिया को पीसीसी चीफ नहीं बनाया जाता तो इसका संदेश यह जाएगा की कांग्रेस पार्टी में सिंधिया की पूछ परख खत्म हो गई है और उनका कद घट गया है। हालांकि गुना संसदीय सीट से अपने ही कार्यकर्ता के हाथों चुनाव हारने के बाद सिंधिया का कद कम तो जरूर हुआ है। रही सही कसर बार-बार एमपी से बाहर रखे जाने से पूरी हो गई है। पार्टी में सिंधिया की पूछ परख कम होने और कद घटने से उनके समर्थक सबसे ज्यादा निराश हैं। सबका मानना है कि कांग्रेस में इतिहास दोहराया जा रहा है। जिस तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को बड़ा कद और समर्थन होने के बावजूद पार्टी में पद और प्रतिष्ठा नहीं मिल पाई अब वही सिंधिया जूनियर के साथ भी हो रहा है। माधवराव सिंधिया को भी पार्टी में साइडलाइन करने की कोशिशें की गई थीं और सीएम पद का दावेदार होने के बावजूद वे सीएम नहीं बन पाए थे और न ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बन पाए। अब ऐसा ही कुछ ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ न हो जाए इसको लेकर सिंधिया समर्थक आशंकित हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि इस समय सिंधिया के पक्ष में सियासी माहौल बेहद गर्म है और अगर इसका फायदा ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं उठा पाए तो उनके राजनैतिक करियर को पराभव पर जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। सिंधिया को इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूकना चाहिए और पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाकर अपने लिए पीसीसी चीफ या उपमुख्यमंत्री जैसा प्रतिष्ठा का पद हासिल करना चाहिए। इससे जहां सिंधिया समर्थकों के पस्त हो चुके हौसले भी बुलंद होंगे वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की कम हो चुकी प्रतिष्ठा भी वापस होगी। लोगों का ये भी कहना है कि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। एक बार अगर सिंधिया के विरोधी उन्हें साइड लाइन करने में कामयाब हो गए तो फिर वापस इस लेवल पर आने के लिए काफी मेहनत की जरूरत पड़ेगी।

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