लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने हैं और अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो दिग्गज कांग्रेसी नेता और राजा महाराजा मोदी और बीजपी की सुनामी में अपने किले गंवा बैठे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता राजा दिग्विजय सिंह और ग्वालियर के महाराजा श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सीट हार चुके हैं और ये साफ हो चुका है जनता ने कांग्रेस को देश और मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ में बुरी तरह नकार दिया है और मोदी और सिर्फ मोदी के नाम पर बीजेपी की नैया को मंझधार के पार पहुंचा दिया है। जिस तरह से दावे मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नेताओं ने किए थे कि प्रदेश में कमलनाथ सरकार के कामों का फायदा उन्हें मिलेगा और इस बार कांग्रेस पंद्रह से बीस सीटें जीतेगी लेकिन कांग्रेस अपने ऑल टाइम रिकॉर्ड को भी तोड़ती नजर आ रही है। सबसे खास बात है दिग्गी राजा और महाराजा सिंधिया की हार कांग्रेस के लिए और इन दोनों नेताओं के समर्थकों के लिए सबसे ज्यादा दुखदाई नज़र आ रही है। दिग्गी राजा ने भोपाल सीट को जीतने के लिए तमाम जतन किए, टैम्पल रन किए, मजारों में चादर चढ़ाई, खुद को साध्वी प्रज्ञा से ज्यादा बेहतर हिंदू साबित करने के लिए कंप्यूटर बाबा से हठ योग, हवन पूजन पता नहीं क्या क्या करवाया लेकिन जनता ने उन्हें उनके पंद्रह साल पुराने कामों के लिए माफ नहीं किया और किनारे लगा दिया। कुछ यही हालत महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की रही जो गुना-शिवपुरी को केक वॉक समझ रहे थे श्रीमंत को गुमान था कि पांच साल तक जनता के बीच जाए बगैर सिर्फ उनके नाम के आगे महाराज शब्द जुड़ा होने के कारण उन्हें जीत मिल जाएगी। खुद महारानी प्रियदर्शिनी ने भी चुनाव प्रचार की कमान संभाली लेकिन महाराज शायद ये भूल गए कि युवा पीढ़ी को पुरानी राजसी परंपरा में यकीन नहीं है और जनता सिर्फ काम पर यकीन करती है। और सबसे बड़ी बात मोदी की सुनामी ऐसी रही कि इसमें उनका बहना तय था और ये बात सिंधिया जी भी पहले ही जान गए थे इसलिए आधे चुनाव के बीच में ही रणछोड़ दास बनके देश छोड़कर विदेश निकल लिए। इसके अलावा चुरहट राजघराने के राजकुमार अजय सिंह राहुल भैया भी सीधी लोकसभा सीट से हार चुके हैं और कुल जमा बात ये कि अब मध्यप्रदेश में राजा महाराजा का अस्तित्व नहीं है और जनता का राज है।