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बीजेपी में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी के पुराने नेता चाहे कितना ही विरोध करें या अंदर ही अंदर कितना कसमसायें। पर उनकी मजबूरी है कि अब जब सिंधिया आ ही चुके हैं तो उन्हें झेलना ही पड़ेगा । ही यही हाल कैलाश विजयवर्गी के साथ भी है बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ज्योतिरादित्य सिंधिया का बोझ उठाएंगे। वह समर्थक जो कांग्रेस छोड़कर तो सिंधिया के भरोसे आए थे लेकिन अब उनकी जीत का दारोमदार कैलाश विजयवर्गी पर है । खासतौर से मालवा के क्षेत्र में आने वाली विधान सीटों में जीत दिलाने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी गई है। हाल ही में भोपाल आए कैलाश विजयवर्गी संगठन के वरिष्ठ नेता सुहास भगत से मिले। सूत्रों के मुताबिक कैलाश विजयवर्गी को मालवा में आने वाली पांच सीटें सुवासरा बदनावर सांवेर हाटपिपलिया और आगर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिनमें से 4 पर तो सिंधिया समर्थक है ही। आगर से फिलहाल बीजेपी का प्रत्याशी तय नहीं है । इन सारी सीटों में जहां-जहां सिंधिया के समर्थकों का विरोध है। वह विरोध को खत्म करने पुराने बीजेपी नेताओं को मनाने और और सिंधिया समर्थकों को जिताने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गी की ही है। इसी के तहत भोपाल आने से पहले कैलाश विजयवर्गीय दीपक जोशी से मुलाकात करते हुए आए । और यह दावा किया कि दीपक जोशी की कोई नाराजगी नहीं है वह पार्टी के साथ है । वैसे विजयवर्गी का पुराना रिकॉर्ड देखते हुए उम्मीद जताई जा सकती है कि अब मालवा क्षेत्र के सिंधिया समर्थकों के लिए उपचुनाव में जीत और आसान होगी। पर सवाल यह भी उठता है कि क्या बीजेपी को सिंधिया की काबिलियत पर भरोसा नहीं है।