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कांग्रेस सरकार को गिरा कर बीजेपी फिर सत्ता में लौटी है. तब से गोपाल भार्गव के दिन जरा लदे हुए ही नजर आ रहे हैं. कहने को तो भार्गव बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं, पंद्रह साल मंत्री भी रहे. और कमलनाथ सरकार में नेताप्रतिपक्ष का दर्जा भी उन्हें ही मिला. इसके बावजूद उन्हें ये नहीं पता कि उनके जिले की कलेक्टर और एसडीएम कौन है. इसका खुलासा तब हुआ जब ये खबर फैली की भार्गव अपने खर्चे पर ही सागर में लंगर चला रहे हैं और भूखों को खाना खिला रहे हैं. किसी अधिकारी ने उनसे इस बारे में कोई संपर्क नहीं किया. भार्गव के करीबियों के मुताबिक कांग्रेस सरकार में तो भार्गव ये मानते रहे कि सरकार दूसरे दल की है इसलिए कलेक्टर उन्हें प्रीति मैथिल उन्हें तवज्जो नहीं दे रहीं. लेकिन जब अपनी ही पार्टी की सरकार दोबारा लौटी तब भार्गव ने इशारों इशारों में हालात बताए पर अब तक सीएम ने कोई ध्यान नहीं दिया है. तो क्या ये मान लिया जाए कि अब पार्टी में वरिष्ठ नेता भार्गव हाशिए पर आ चुके हैं. मंत्रीमंडल की पहली खेप में भी उन्हें जगह नहीं दी गई. और शायद विस्तार में भी उनका शामिल हो पाना मुश्किल ही लग रहा है क्योंकि बुंदेलखंड से मंत्रीमंडल में दावेदारी करने वाले सिंधियासमर्थक भी कम नहीं है. और जब बात गोपाल भार्गव औऱ भूपेंद्र सिंह में से किसी एक को चुनने की आएगी तो सीएम शिवराज की पसंद का अंदाजा लगाया जा सकता है. जब अपनी ही पार्टी में ये हाल है और जिले का कलेक्टर तक भाव न दे तो समझा जा सकता है कि आने वाला वक्त वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव के लिए क्या समेटे हुए है.