झाबुआ सीट जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा दी है. इसके बावजूद पार्टी में गुटबाजी साफ नजर आ रही है. इस उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने जिन सिपहसालारों को ज़िम्मेदारी दी है कि वह कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के करीबी हैं. ज्योकतिरादित्यी सिंधिया और उनकी ब्रिगेड को इस बार दूर रखा गया है. पार्टी की इस गुटबाज़ी कांग्रेस पर भारी भी पड़ सकती है.कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम जरूर है लेकिन चुनाव की कमान संभालने में सिंधिया समर्थकों को काफी दूर रखा गया है. सिर्फ सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट के नेताओं को प्रचार की कमान सौंपी गई है. सबसे अहम जि़म्मेदारी दिग्विजय सिंह के करीबी और झाबुआ के प्रभारी मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल को सौंपी गई है. उनके साथ कमलनाथ खेमे के मंत्री बाला बच्चन को आदिवासियों को साधने की ज़िम्मेदारी दी गई है. झाबुआ सीट पर कांग्रेस ने जिन मंत्रियों की ड्यूटी लगाई है, उनमें बाला बच्चन, सुरेंद्र सिंह बघेल, जीतू पटवारी, हर्ष यादव, विजयलक्ष्मी साधो और प्रियव्रत सिंह चुनाव में प्रचार की कमान संभालेंगे.इनमें से ज़्यादातर मंत्री दिग्विजय सिंह खेमे के हैं. वैसे कांतिलाल भूरिया को भी दिग्विजय सिंह का सबसे करीबी माना जाता है. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में सिंधिया समर्थक मंत्री या नेता कहीं नजर नहीं आ रहा. नामांकन प्रक्रिया के दौरान भी सिंधिया खेमे को पूरी तरह दूर रखा गया. अब ये गुटबाजी नहीं तो और क्या है.