देश के लिए कुर्बानियों का गवाह- शौर्य स्मारक

10 जुलाई 2008 की बात है, दिल्ली में कर्नल मुशरान की जयंती पर इंडिया हैबिटेट सेंटर में एक कार्यक्रम था। विषय था भारतीय सेना के प्रति युवा आकर्षित क्यों नहीं होते? इस पर तब के सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने उलाहना देते हुए कहा, ‘आम आदमी और युवाओं के बीच सेना का आकर्षण बनाए रखने के लिए अब तक किया ही क्या गया है?’ इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे। उन्होंने वहीं ऐलान कर दिया कि उनकी सरकार भोपाल में एक शौर्य स्मारक बनाएगी। फिर क्या था भारत के अमर शहीदों की शौर्य गाथाओं को चिर-स्थायी बनाए रखने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए एक अनूठे शौर्य स्मारक की कल्पना को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साकार किया गया। 41 करोड़ रुपए की लागत से बने 13 एकड़ में फैले इस स्मारक को 14 अक्टूबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया था। यह केवल भोपाल या एमपी नहीं बल्कि पूरे देश में भारतीय एकता अखंडता के लिए की गई कुर्बानियों का गवाह है। सफेद गुलाब के बगीचों से घिरा हुआ शौर्य स्मारक स्तम्भ ग्रेनाइट पत्थर से बना ६२ फुट ऊँचा स्तम्भ है जो देश की रक्षा के लिए कुर्बानी देने वालों के बुलंद हौसलों का प्रतीक है। शौर्य स्मारक स्तम्भ की नींव के पास जलने वाली अत्याधुनिक होलोग्राफिक अखंड ज्योति सैनिकों के बलिदान की याद दिलाती है। वहीं तीनों सेनाओं की यादों को चित्रों में संजोए हुए संग्रहालय में परमवीर चक्र, महावीर चक्र जैसे शौर्य पुरस्कारों पाने वाले शूरवीरों की गाथाएं देखी और सुनी जा सकती हैं। भारतीय सेना के तीनों अंगों के विभिन्न हथियारों और हवाई जहाज, टैंक्स, सहित पानी के जहाजों के मॉडल्स भी यहां देखे जा सकते हैं। इस शौर्य स्मारक में विभिन्न वीडियो और डॉक्यूमेंट्रीज के जरिए आर्मी की ट्रेनिंग और आर्मी लाइफ की झलकियां आम जनता तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। यहां आने वाले दर्शकों के लिए युद्ध जैसा वातावरण तैयार करने के लिए स्मारक युद्ध व गोलियों की आवाजों से गूंजता रहता है। वहीं एक कमरे में आर्टिफिशियल बर्फ और ठंडक से सियाचिन का वातावरण बनाया गया है। इस स्मारक का डिजाइन तैयार करने वाली दिल्ली की आर्किटेक्ट शोभा जैन के मुताबिक ये स्मारक नहीं मंदिर है। एक ऐसी जगह, जहां लोग सिर्फ फूल न चढ़ाएं, बल्कि फौजियों के संघर्ष, उनके बलिदान को महसूस कर सकें।’

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