हार सकते हैं मध्यप्रदेश के ये मंत्री?
रुस्तम सिंह- (लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री)-
मुरैना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रदेश सरकार के मंत्री रुस्तम सिंह की सीट इस बार खतरे में नजर आ रही है। पिछले चुनावों में यहां बसपा उम्मीदवार महज 1704 वोटों से हारा था और इस बार बसपा ने दिमनी विधायक बलवीर सिंह दंडोतिया को मुरैना से टिकट दिया है। अगर इस बार वोटों का यह अंतर पूरा हो जाता है तो रुस्तम सिंह की हार तय है।
लाल सिंह आर्य (सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री)-
गोहद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे प्रदेश के सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री लाल सिंह आर्य के सामने कांग्रेस के रनवीर जाटव कड़ी चुनौती बने हुए हैं। मतदाताओं की नाराजगी का शिकार इस बार लाल सिंह आर्य को बनना पड़ सकता है और उन पर हार का खतरा मंडरा रहा है।
सुरेंद्र पटवा (पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री)-
भोजपुर विधानसभा सीट पर इस बार सुरेंद्र पटवा का काफी विरोध देखा गया है। उनके सामने कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को उतारा था। अगर मतदाताओं की नाराजगी वोटों में तब्दील हुई तो पटवा को इस बार पचौरी के हाथों शिकस्त मिल सकती है।
रामपाल सिंह (लोक निर्माण मंत्री)-
सिलवानी विधानसभा सीट से उम्मीदवार मंत्री रामपाल सिंह का चुनाव से पहले काफी विरोध हुआ था। अनारक्षित समाज, किसानों और आम मतदाताओं में भी रामपाल सिंह का विरोध देखा गया। उन्हें कांग्रेस के देवेंद्र पटेल के अलावा सपा से गौरी यादव और निर्दलीय उम्मीदवार नीलमणी शाह से काफी तगड़ी टक्कर मिल रही है और इस बार उनकी हार की संभावना जताई जा रही है।
उमाशंकर गुप्ता (राजस्व मंत्री) –
मध्यप्रदेश के राजस्व, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री उमाशंकर गुप्ता भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं। उन्हें कांग्रेस के पीसी शर्मा से कड़ी टक्कर मिल रही है। शर्मा जमीन से जुड़े नेता हैं और इस इलाके में उनकी बड़े वोट बैंक पर पकड़ है। इसके अलावा खुद भाजपा की भितरघात भी गुप्ता के लिए खतरा बन सकती है।
जयभान सिंह पवैया (उच्च शिक्षा मंत्री)-
ग्वालियर विधानसभा सीट से उम्मीदवार जयभान सिंह पवैया के सामने कांग्रेस ने फिर से प्रद्युम्न सिंह तोमर को उतारा है, 2008 में तोमर विधायक रह चुके हैं और पवैया को हरा चुके हैं। सपा और बसपा के अच्छे प्रभाव वाली इस सीट पर 2003 से कोई भी उम्मीदवार लगातार दो बार नहीं जीता है। इस बार पवैया की जीत यहां मुश्किल नजर आ रही है।
इन मंत्रियों की जीत भी नहीं है आसान-
गौरीशंकर बिसेन- बालाघाट विधानसभा से चुनाव लड़ रहे गौरीशंकर बिसेन के सामने कांग्रेस के विश्वेश्वर भगत मैदान में हैं। वहीं सपा की ओर से अनुभा मुंजारे मामले को त्रिकोणीय बना रही हैं। बालाघाट में मतदाताओं और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच भी अपने बयानों को लेकर विवाद में रहने वाले गौरीशंकर बिसेन का विरोध नजर आ रहा है।
राजेंद्र शुक्ला- (खनिज संसाधन मंत्री)
रीवा विधानसभा सीट से उम्मीदवार राजेंद्र शुक्ला के लिए इस बार विधानसभा की राह आसान नहीं है। उन्हें रीवा सीट से विधायक रह चुके भाजपा के बागी और इस बार कांग्रेस उम्मीदवार अभय मिश्रा से कड़ी टक्कर मिल रही है। इसके अलावा इस बार विंध्य अंचल में भाजपा का विरोध ज्यादा दिखाई दे रहा है जिसके चलते राजेंद्र शुक्ला के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
रामपाल सिंह (लोक निर्माण मंत्री)-
सिलवानी विधानसभा सीट से उम्मीदवार मंत्री रामपाल सिंह का चुनाव से पहले काफी विरोध हुआ था। अनारक्षित समाज, किसानों और आम मतदाताओं में भी रामपाल सिंह का विरोध देखा गया। उन्हें कांग्रेस के देवेंद्र पटेल के अलावा सपा से गौरी यादव और निर्दलीय उम्मीदवार नीलमणी शाह से काफी तगड़ी टक्कर मिल रही है और इस बार उनकी हार की संभावना जताई जा रही है।