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सुरखी विधानसभा सीट से अपना मुकद्दर आजमाने वाले गोविंद सिंह राजपूत चाहें जितना भी समझ लें. उनकी राह इतनी भी आसान नहीं है. उनकी विधानसभा सीट से भीतराघात के खतरे तो हैं ही कुछ बीजेपी नेता खुल कर उनकी खिलाफत करने को तैयार हो चुके हैं. इन्हीं में से एक हैं पारूल साहू. जिनके साथ राजपूत की दुश्मनी बेहत पुरानी और अगर ये कहें कि ओछे स्तर की रही है तो गलत नहीं होगा. पारुल साहू वो कद्दावर नेता है जो सुरखी में गोविंद सिंह राजपूत को एक बार धूल चटवा चुकी हैं. उनसे हार की बौखलाहट में गोविंद सिंह राजपूत उन्हें दारू वाली विधायक जैसा विवादित बयान भी दे चुके हैं. इस बात को राजपूत भले ही भूल गए हों लेकिन पारूल साहू नहीं भूली हैं. बताया जा रहा है कि साहू ने बगावत के सुर छेड़ दिए हैं. पारूल ने साफ कर दिया है कि जरूरत पड़ी तो जनता की सुनेंगी पार्टी की नहीं. मतलब साफ है हो सकता है पारूल साहू बतौर निर्दलीय उम्मीदवार यहां से चुनाव लड़ लें. हालांकि बीजेपी ने उन्हें 2018 में भी टिकट नहीं दिया था. उनकी जगह पूर्व सांसद के बेटे लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर यादव को टिकट दिया था. अब देखना ये है कि राजपूत का सामना उपचुनाव में किससे होता है.