मध्यप्रदेश की करीब दो दर्जन सीटों पर सपा और बसपा का वोट बैंक नतीजों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। 2013 के विधानसभा चुनावों की अगर बात करें तो बसपा को पांच सीटे मिली थी लेकिन सपा का खाता नहीं खुल पाया था। हालांकि इस बार समीकरण बदले हुए हैं। इस बार भाजपा और कांग्रेस के कई बागी नेता सपा और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। और इसके चलते दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर इस बार लड़ाई आमने सामने की नहीं बल्कि त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय है। सपा और बसपा कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ सकती हैं। बुंदेलखंड में बसपा की मजबूत स्थिति को देखते हुये पार्टी ने चारों वर्तमान एवं दो भूतपूर्व विधायकों को चुनाव मैदान में उतारा है।बसपा का विंध्य और चंबल में प्रभाव है। वहीं, सपा का बुंदेलखंड में काफी वर्चस्व दिखाई दे रहा है।