देखा जाए तो कांग्रेस ने झाबुआ उपचुनाव में शुरू से ही पूरी ताकत झोंक दी थी… लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं ने नामांकन के साथ अपने हाथ झड़ा लिए थे… भानु भूरिया को अकेला छोड़ दिया था… पूछने पर सभी नेताओं के बयान आते थे कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और कार्यकर्ता ही चुनाव लड़ता है… कहा जाए तो भाजपा ने केवल आखिरी हफ्ते में ही प्रचार तेज किया…पूर्व सीएम शिवराज का 3 दिन झाबुआ में रूकना भी भानु भूरिया के काम नहीं आया… वहीं भाजपा के बागी नेताओं ने भी रही—सही कसर पूरी की और भानु भूरिया के विरोध में प्रचार किया… 4 बार झाबुआ पहुंचकर डैमेज कंट्रोल का दावा करने वाले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी वहां कुछ कमाल नहीं दिखा पाए… भाजपा के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी कल्याण सिंह डामोर ने तो सांसद और प्रत्याशी पर यह आरोप तक लगा दिया कि सांसद और प्रत्याशी से जान को खतरा है… रही सही कसर सरकारी तंत्री ने पूरी कर दी… वहीं कमलनाथ की 3 सभाओं ने भी कार्यकर्ताओं को आत्मबल प्रदान किया… जिसके चलते कांग्रेस झाबुआ में अच्छा प्रदर्शन कर पाई… और कांतिलाल भूरिया को इतनी बड़ी जीत दिखा पाई…. न्यूजलाइवएमपी डेस्क रिपोर्ट