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आने वाले उपचुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ विधायक मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे गोपाल भार्गव बीजेपी की जगह कांग्रेस का साथ देंगे. अपना राजनीतिक कैरियर बचाने के लिए गोपाल भार्गव को यह दांव चलना ही पड़ेगा। जब से गोविंद सिंह राजपूत बीजेपी में शामिल हुए हैं तब से गोपाल भार्गव के राजनीतिक कैरियर पर सवाल उठने लगे हैं। कहा जा रहा है कि अब बीजेपी में वह हाशिये में होंगे और उन्हें संभवत मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं मिल पाएगी। जिसके बाद अब गोपाल भार्गव का करियर बचा रहे उसके लिए जरूरी है कि गोविंद सिंह राजपूत सुरखी से जित नाा सके। आपको बता दें गोविंद सिंह राजपूत सिंधिया समर्थक है जो कमलनाथ कैबिनेट में मंत्री थे। लेकिन बाद में सरकार गिराने के लिए बीजेपी में शामिल हुए और अब सुर्खी में विधानसभा चुनाव होने हैं ।और अगर गोविंद सिंह राजपूत जीते तो सागर जिले की विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा तवज्जो गोविंद सिंह राजपूत को ही दी जाएगी। और समर्थक इस शर्त के साथ बीजेपी में शामिल हुए हैं। अगर उन्हें सीट मिलती है तो गोपाल भार्गव जैसे वरिष्ठ नेता को मंत्रिमंडल से बाहर रहना पड़ेगा। जिसके चलते अब हालात यह बन रहे हैं कि सुर्खी में बीजेपी के पुराने नेता और आसपास के क्षेत्रों से चुनाव जीत चुके नेता ही इस कोशिश में है कि गोविंद सिंह राजपूत चुनाव हआर जायें। गोपाल भार्गव रहेंगे तो बीजेपी में ही क्योंकि उनकी पुरानी पार्टी है इस पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता रहे हैं । लेकिन वह गोविंद सिंह राजपूत की जीत के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करेंगे। तो इस तरीके से तो यही माना जाएगा कि वह प्रत्यक्ष रूप से ना सही लेकिन परोक्ष रूप से वही करेंगे जो कमलनाथ चाहते हैं। वह भी यही चाहते हैं कि सुर्खी से गोविंद सिंह राजपूत हार जाये। चाहे अनचाहे बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ही कमलनाथ का ही साथ निभाएंगे।