कांग्रेस के कद्दावर नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री खुद को तो क्षत्रिय वंश का बताते हैं। और उनकी रिश्तेदारी भी क्षत्रिय घरानों में ही है। पर कुछ चुनिंदा अखबारों और लोगों की बातों पर भरोसा किया जाए तो दिग्गी के पूर्वज मुगलों और अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे। दिग्विजय सिंह का कुल खींची राजपूतों का है। वे जिस राघोगढ़ रियासत के राजा हैं उसका अधिकृत इतिहास उनके खींची होने की पुष्टि करता है। खींची संस्थान, जोधपुर से प्रकाशित ‘सर्वे ऑफ खींची हिस्ट्री’ जिसके लेखक AH निजामी और GA खींची हैं, का दावा है कि खींची उपजाति राजपूत धन लेकर युद्ध करने के लिए कुख्यात रहे हैं। … दिग्वजिय जिस राघोगढ़ रियासत के कुंवर हैं, वह रियासत गरीबदास नामक योद्धा को बादशाह अकबर ने दी थी। जब राजपूताना और मामलाव के अधिकांश क्षत्रिय राणा प्रताप की ओर हो लिए थे, तब भी राघोगढ़ का गरीबदास अकबर का मुखबिर था। इस गद्दी पर 1797 तक दिग्विजय के पूर्वज बलवंत सिंह का राज था। ‘1778 के पहले मराठा-अंग्रेज युद्ध में बलवंत सिंह ने अंग्रेजों की मदद की थी।