7 मई से शुरू हो रहे रमज़ान के पवित्र महीने में क्या वोट डाल सकते हैं? ये सवाल कई लोगों के ज़ेहन में था और लोगों ने इस बारे में इस्लामिक विद्वानों से राय भी मांगी थी जिस पर विद्वानों का कहना था कि रोज़े रखने से वोट डालने पर कोई पाबंदी नहीं है और लोगों को अपनी मर्ज़ी से वोट डालना चाहिए। हालांकि राजनैतिक पार्टियों ने इस मामले में आपत्ति दर्ज जरूर कराई थी कि रमजान के दिनों में मई की गर्मी के बीत रोज़ेदारों को लंबी लाइनों में लगकर वोट डालने में दिक्कत आएगी और अल्पसंख्यक समुदाय का वोटिंग परसेंटेज कम होगा। एक वकील ने याचिका दायर करके मांग की थी कि रमज़ान के दिनों में वोटिंग का टाइम सुबह पांच बजे से कर दिया जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामला चुनाव आयोग के हवाले कर दिया और चुनाव आयोग ने सुबह वोटिंग कराने से मना कर दिया है। फिर भी कांग्रेस, टीएमसी जैसे कई दलों का कहना है कि रमज़ान के दिनों में होने वाले मतदान से उन पार्टियों को फायदा मिल सकता है जिन्हें अल्पसंख्यकों के वोट कम मिलते हैं। कुछ धर्मगुरू मानते हैं कि गर्मी के दिनों में रोज़ेदारों को मुश्किल होगी, वहीं कुछ धर्मगुरुओं का कहना है कि रमज़ान के दिनों में वोट डालने से किसी भी रोज़ेदार को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि रमज़ान का रोज़ा ईश्वर की इबादत के लिए होता है और इबादत में किसी भी किस्म की दुश्वारी कोई मायने नहीं रखती बल्कि यह एक परीक्षा होती है। जब रमजान के दौरान कोई रोजेदार अपनी आजीविका कमाने के लिए तपती धूप में पसीना बहा सकता है तो मतदान का फर्ज निभाने के लिए किसी भी मुस्लिम का कतार में खड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं है। वैसे 5 मई को चांद नहीं दिखने से रमजान अब 6 मई के बजाय 7 से शुरू होगा और अब सिर्फ 12 और 19 मई की तारीखें ही रमजान के दौरान पड़ेंगी और इन तारीखों में भी हो सकता है कि तापमान में कमी आ जाए और लोग आसानी से वोट कर सकें।