ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों को पार्टी में एडजस्ट करने का बीजेपी ने जबरदस्त तोड़ निकाल लिया है. अतिथि देवो भव की परंपरा वाले इस देश में सिंधिया समर्थकों को बीजेपी में भगवान जैसा ही सम्मान मिला. पर पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें मेहमान समझने की भूल कर दी. सिंधिया समर्थक बीजेपी में मेहमान बनकर नहीं बल्कि अपनी अपनी विधानसभा सीटों का मालिक बनने के लिए आए हैं. और यही हक शिवराज कैबिनेट पर भी जमा रहे हैं. उनकी इस घुसपैठ के चलते अब कई बीजेपी नेताओं का अपना हक खोना पड़ रहा है. खबर तो ये भी है कि अब बीजेपी सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में लाने के लिए प्रदेश के कुछ नेताओं के साथ वैसा ही सलूक कर सकती है. जैसा सलूक केंद्र में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के साथ कर उन्हें हाशिए पर डाल चुकी है. वही फॉर्मूला लगा कर अब बीजेपी अपने कई विधायकों की बोलती बंद करने वाली है. ये फॉर्मूला है एज फैक्टर का. सत्तर से ज्यादा उम्र के लोगों को टिकट न देने का फॉर्मूला बना कर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कई नेताओं के टिकट काटे. बुजुर्ग नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल बनाया और लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं को उसमें बिठा दिया.अब ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश की सियासत में होने का अंदेशा जताया जा रहा है. पर यहां सत्तर साल वाला फॉर्मूला काम नहीं करेगा. क्योंकि अधिकांश नेता सत्तर से कम के ही हैं. इसलिए यहां तय एज नहीं दी जा रही. बस एज फैक्टर हावी करके ऐसे नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया जाएगा. इन नेताओं में गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, गौरी शंकर बिसेन, पारस जैन, राजेंद्र शुक्ला, विजय शाह जैसे नेता शामिल हैं. जिनकी उम्र पचपन से 65 के अंदर हैं. सिर्फ गोपाल भार्गव हैं जो 65 पार हैं. वैसे खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस एज क्राइटेरिया के अंदर आते हैं. इसलिए बीजेपी के लिए किसी एक एज फॉर्मूले पर काम कर पाना मुश्किल है. इसलिए आलाकमान की तरफ से खुलेतौर पर ऐसे कोई लाइन नहीं दी गई है. पर खबर हैं कि पार्टी की अंतरकलह और मंत्रिमंडल में दावेदारी खत्म करने के लिए इसी तरह की समझाइश दी जाएगी.
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