मध्यप्रदेश बीजेपी में बिखराव अब साफ नजर आने लगा है। कई मौकों पर वरिष्ठ नेताओं के बीच समन्वय नहीं होने और मतभेद की बात खुलकर सामने आई है। हाल ही में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल की मौजूदगी में विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं में हार की हताशा के बयान पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने विरोधाभासी बयान दिए। जहां गोपाल भार्गव ने कहा कि हार के बाद कार्यकर्ताओं में हताशा है वहीं शिवराज ने कहा कि कार्यकर्ताओं में कोई हताशा नहीं है। वहीं पार्टी पदाधिकारियों की मानें तो प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे एमपी में समय नहीं दे पाते हैं। समन्वय का अभाव दूर करने के लिए लोकसभा प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह और सह-प्रभारी सतीश उपाध्याय को तो जिम्मेदारी दी ही गई है इसके अलावा अब उनके ऊपर को-ऑर्डिनेशन के लिए अनिल जैन को भी म.प्र. लोकसभा की जिम्मेदारी दे दी गई है। वहीं संगठन महामंत्री रामलाल ने प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को फ्री हैंड दे दिया है और सप्ताह भर में कई जिलाध्यक्षों को उनके पद से हटाया जा सकता है। अब देखना है कि लोकसभा चुनावों के पहले ये सारी कवायदें भाजपा में बिखराव को कंट्रोल कर पाती हैं या नेता अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग की तर्ज पर ही चलते रहते हैं।