मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस जीत हुई तो उसका सेहरा कंप्यूटरबाबा के सिर भी सजा. बीजेपी को छोड़ कर बाबा ने कांग्रेस का दामन थामा. कमलनाथ की सरकार बनीं तो बाबा नदी न्यास समिति के अध्यक्ष पद से नवाजे गए. जिन्हें तमाम सुविधाएं भी मिली. लेकिन अब वक्त पलट चुका है. सत्ता की बागडोर फिर बीजेपी के हाथ में है. और बीजेपी बाबा की जफाएं भुला नहीं पाई है. लिहाजा इस व्यस्त दौर में भी कंप्यूटर बाबा से उनकी सुविधाएं वापस लेना शुरू हो चुकी हैं. उनकी गाड़ी और स्टाफ सरकार ने वापस ले लिया है. सिर्फ गनमैन बाबा के साथ बचा है. जो संभवतः अध्यक्ष पद से हटते ही वापस हो जाएगा. हालांकि बाबा का कहना है कि वो पद की मोहमाया में नहीं फंसे हैं. पद न रहने पर भी वो इसी तरह नदी के हक की आवाज उठाते रहेंगे.