अब ये बीजेपी के लिए भी जरा मुश्किल का फैसला है. एक तरफ हैं पार्टी के वरिष्ठ नेता जो शिवराज कैबिनेट में वित्त जैसे अहम विभाग के मुखिया भी रहे जयंत मलैया. और दूसरी तरफ हैं रामबाई. जिनका वैसे बीजेपी से कोई लेना देना नहीं है. जिधर सत्ता उधर की रामबाई हैं. पर फिलहाल बीजेपी को इस बिन पैंदे के लोटे की बहुत जरूरत है. सरकार में बड़ा नंबर बनाए रखने के लिए. मामला ये है कि रामबाई और मलैया के बीच जबरदस्त ठन कई है. ट्विस्ट ये है कि ये तनाव डायरेक्ट जयंत मलैया से नहीं है उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया से है. जो दमोह एक मामले पर रामबाई के खिलाफ सड़क पर आ गए हैं. और सरेआम धमकी दे रहे हैं कि रामबाई या तो विधाक नहीं रहेगी और अगर रही तो मध्यप्रदेश में नहीं रहेगी. मामला एक साल पुराने देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड का है. जिसका आरोप रामबाई के पति, देवर और भतीजे पर है. हालांकि कमलनाथ सरकार की जीहजूरी कर रामबाई अपने पति को क्लीनचिट दिलवा चुकी हैं. लेकिन चौरसिया के बेटे लगातार कोर्ट कचहरी के चक्कर काट रहे हैं. और इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं. इसमें नया मोड तब आया जब बुधवार को अचानक फायरिंग हुई. रामबाई और उनके समर्थकों ने पुलिस पर दबाव बनाया इस मामले में चौरसिया के बेटे सोमेश चौरसिया को आरोपी बनाया जाए. मामला इसलिए इतना सियासी और गर्म हुआ क्योंकि इसमें जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्त मलैया की एंट्री हो गई. सोमेश ने मामले के खुलासे के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी थी. जिसमें अचानक जूनियर मलैया पहुंचे. दोनों गले लग कर रोए. उसके बाद मलैया ने रामबाई के खिलाफ ऐलान ए जंग कर दिया. कहा कि मैं बहुत लेट आया पर अब इंसाफ दिलाकर ही जाऊंगा.
बाइट-
इसके बाद मामला सड़क पर आ गया. मलैया ने लंबी चौड़ी रैली निकाली. और पुलिस को ज्ञापन सौंप कर देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड में कार्रवाई की मांग की. और पुलिस को हल्की फुल्की धमकी भी दी.
एम्बियेंस- पुलिस वाला
वैसे सिद्धार्थ मलैया ने ये तो कहा है कि इस पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस बीजेपी के चश्मे से न देखे. पर मामला तो सियासी हो ही गया है. जिस पर रामबाई ने भी हुंकार भर ही दी है. अब फैसला बीजेपी को लेना है कि वो जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया का साथ देगी या फिर पार्टी को समर्थन दे रही विधायक रामबाई का.
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