राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट पिछले दिनों अपनी ही सरकार से बेहद नाराज थे. नाराजगी इस बात पर थी कि राज्य के बीएसपी विधायक कांग्रेस में शामिल कर लिए गए. पर उन्हें जानकारी नहीं दी गई. सचिन पायलट ने उस वक्त भी प्रदेश में अपनी ही कांग्रेस सरकार को चेताया था कि इस तरह का कदम जल्दबाजी में न उठाया जाए. पर किसी ने पायलट की एक नहीं सुनी. जिसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी आज भुगत रही है. दरअसल कांग्रेस ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. मकसद था मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ पूरे विपक्ष को एकजुट कर विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करना. लेकिन ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल सबने इस बैठक का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया. जिसमें मायावती भी एक हैं. और बैठक में शामिल न होने की उनकी दलील भी सॉलिड है. मायावती ने साफ कर दिया है कि राजस्थान में बीएसपी विधायकों को कांग्रेसी बना कर कांग्रेस ने उनका धोखा दिया है. इसलिए वो उनका साथ नहीं दे रही. अब जरूर कांग्रेस आलाकमान और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पायलट की बातें याद आ रही होंगी. पर क्या फायदा क्योंकि चिड़िया तो चुग गई खेत.