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मैहर से विधायक नारायाण त्रिपाठी की अक्ल अब ठिकाने आ चुकी है. ऐसा इसलिए लग रहा है कि नारायण त्रिपाठी ने अपना पुराना राग अलापना बंद कर दिया है. और बस अपने काम पर ध्यान दे रहे हैं. ऐसा हमारा नहीं खुद नारायण त्रिपाठी कह रहे हैं. जो दल बदलने के लिए मशहूर हैं. और कमलनाथ सरकार के दौरान पूरे समय बीजेपी की नाक में दम किए रहे. जिद सिर्फ एक थी कि उन्हें तो मंत्री बनना है. कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए. बीजेपी हारी तो वहां मन लगना बंद हुआ. और वापस कांग्रेस से मेल मिलाप बढ़ गया. पर वहां भी दाल गल पाती उससे पहले कांग्रेस की सरकार गिर गई. जब कांग्रेस की सरकार थी तब बार बार त्रिपाठी दल बदलने की कोशिश करते रहे और बीजेपी हाथ पकड़ कर रोकती रही. शायद यही दिलासा देती रही कि सरकार बीजेपी की होगी तो त्रिपाठी के सिर पर मंत्री का ताज सजेगा. पर अब जब मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं तब नारायाण त्रिपाठी ने उछल कूद बंद कर दी है. और सुर भी बदल लिए हैं. मंत्री बनाओ मंत्री बनाओ की रट लगाए रहने वाले त्रिपाठी कह रहे हैं कि उन्हें मंत्री बनना ही नहीं.
बाइट- नारायण त्रिपाठी, मैहर विधायक
तो क्या इसका ये मतलब हुआ कि बीजेपी ने त्रिपाठी को समझा दिया है कि सत्ता के नारायण तो यहीं है. कांग्रेस में गए तो मंत्री पद मिलना तो दूर सत्ताधारी दल में रहने का गुरूर भी छूट जाएगा. इसलिए अब त्रिपाठी ने सुर बदलने में ही समझदारी दिखाई है.