सचिन पायलट ने कांग्रेस से बगावत की. माना जा रहा था कि वो भी अपने पुराने मित्र ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे. कांग्रेस उनके खिलाफ सख्त होती गई. पर पायलट ने अपने पत्ते नहीं खोले. उन्हें कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री पद से हटाया और उसके बाद कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया. लेकिन पायलट ने ऐलान कर दिया कि वो कांग्रेस छोड़ने वाले नहीं है. पायलट परिवार में बगावत का इतिहास बहुत पुराना है. सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट ने बगावत का बिगुल फूंका था. ये बात साल 1997 की है. जब गांधी परिवार कांग्रेस से दूर हो रहा था और वरिष्ठ नेताओं की मनमानी से पार्टी बिखर रही थी. उस वक्त सचिन के पिता राजेश पायलट ने भी बगावत का ऐलान किया था. और राजस्थान कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव कराने की नौबत आ गई थी. उस वक्त कांग्रेस के लिए ये बहुत बड़ी बात थी कि आलाकमान के निर्देशों को दरकिनार कर किसी पद के लिए चुनाव हुआ हो. सीताराम केसरी के खिलाफ शरद पवार और राजेश पायलट ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा. हालांकि जीत केसरी की ही हुई. पर बगावत को कांग्रेस समझ चुकी थी. जिसके बाद फिर गांधी परिवार को मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश की गई और सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली. बगावत का वही तरीका सचिन पायलट ने भी दिखाया है. जिन्होंने पार्टी के खिलाफ आवाज तो उठाई लेकिन अपनी पार्टी को नहीं छोड़ा है. फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि पायलट पिता के नक्शेकदम पर हैं. पर आगे जाकर पायलट की मंजिल बदल जाए तो हैरानी नहीं होगी. #nationalnews #rajsthangovernment #sachinpilot #scindia #politics