साल 1977, आपातकाल की आंधी चली और कांग्रेस तिनका तिनका होकर बिखर गई. हरियाणा जैसे राज्य में उस वक्त की जनता पार्टी ने 75 सीटें हासिल कीं. तब हरियाणा विधानसभा में 81 सीटें हुआ करत थीं. कांग्रेस के खिलाफ लोगों की नाराजगी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया. अब एक बार फिर बीजेपी पुराना इतिहास दोहराना चाहती है. नारा दिया है अबकी बार 75 पार. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा ये कोई आसान काम नहीं है. खुद 75 पार होना यानि विरोधियों को पंद्रह के आंकेड़े के भीतर समेट देना. लेकिन जिस तरह का माहौल चल रहा है उसे देखते हुए लगता है कि बीजेपी के लिए ये कोई खास मुश्किल काम नहीं है. ओपीनियन पोल भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं. हरियाणा के ओपीनियन पोल्स के मुताबिक इस बार बीजेपी आराम से 75 पार कर सकती है. बीजेपी को इस बार 77 के आसपास सीटें मिलने की संभावना है. यानि विपक्षी दलों के पास 15 से भी कम सीटें जाती दिखाई दे रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटें हासिल की थीं. लेकिन इस बार कांग्रेस के खाते में बमुश्किल पांच सीटें आ रही हैं. आईएनएलडी की स्थिति तो ओपीनियन पोल्स में और खराब है. पिछले चुनाव में 19 सीटें हासिल करने वाली ये पार्टी बमुश्किल एक या दो ही सीट हासिल कर सकेगी. और नर्दलीयों का आंकड़ा भी पांच से सात सीटों के बीच खत्म हो जाएगा. यानि पिछली बार की तुलना में बीजेपी को छोड़ हर पार्टी बेहद घाटे है. किसी की एक सीट बढ़ी या घटी भी तो भी बीजेपी के मिशन 75 को रोक पाना मुश्किल नजर आता है.