कुछ महीने पहले तक कागज नहीं दिखाएंगे का शोर मचाने वाले आज चिल्ला रहे हैं कि बत्ती नहीं बुझाएंगे. पीएम नरेंद्र मोदी ने ये अपील की है कि रविवार रात नौ बजे पूरा देश अपने घर की लाइट बुझा कर दीपक, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लेश लाइट जलाकर रोशनी करे. इस काम से पूरे नौ मिनट देश एकजुटता का संदेश देगा. लेकिन इसके बाद से ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है कि बत्ती नहीं बुझाएंगे. सुनकर तो यही लगता है कि नारा मोदीजी की अपील के खिलाफ है. कुछ हद तक है भी लेकिन इसमें फायदा भी मोदीजी का ही है. क्योंकि मोदीजी ने ये अपील की है दीप जलाने के लिए बिजली बचाने के लिए तो की नहीं है. अपील का मकसद ये कि लोग अपनी एकजुटता का प्रमाण दे सकें. न कि बिजली बचाने का संकल्प दिखा सकें. दूसरे पावर ग्रिड कंपनीज भी ये कह चुकी हैं कि एक साथ लाइट ऑफ होने बाद जलने से ग्रिड पर अचानक बोझ बढ़ सकता है. लिहाजा जो लोग ये कह रहे हैं कि दीपक तो जला लेंगे लेकिन बत्ती नहीं बुझाएंगे वो भी दरअसल मोदीजी को ही सपोर्ट कर रहे हैं देश की पावर ग्रिड कंपनीज को बड़ी मुश्किल से बचा कर.