पार्टी डिसिप्लीन के नाम पर बीजेपी अब तक मध्यप्रदेश में जिस असंतोष को अनदेखा करती रही वो अब सतह पर आने लगा है. राज्यसभा चुनाव में एक विधायक का क्रॉस वोटिंग करना इसका बहुत बड़ा सबूत है. विधायक गोपीलाल जाटव ने तो बड़ी मासूमियत से कह दिया कि उन्होंने जानबूझ कर गलती नहीं कि. पर सियासी हलके ये खूब जानते हैं कि ऐसी गलतियां गलती से नहीं होतीं. इसलिए इस असंतोष को नजरअंदाज करना बीजेपी की बड़ी गलती हो सकता है. पार्टी के कुछ नेताओं ने बड़े आराम से कह दिया कि एक वोट इधर से उधर हो जाने पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. सही भी है राज्यसभा चुनाव में फर्क नहीं पड़ता. पर जो असंतोष की चिंगारी जो इस चुनाव में दिखी है उसकी चमक बहुत दूर दूर तक जाएगी. बीजेपी के लिए फिक्र की बात इसलिए भी है क्योंकि जिस जगह के विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है वो गुना का ही है. गुना यानि ग्वालियर चंबल का इलाका जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबदबे वाला इलाका है. अगर वहां से असंतोष की चिंगारी भड़की है तो पूरे ग्वालियर चंबल में इसकी आग लगेगी. सिर्फ यहीं क्यों बदनावर यानि मालवा के इलाके में भी नेताओं ने बीजेपी का साथ छोड़ना शुरू कर दिया है. ध्रुवनारायण सिंह बिड़वाल का बीजेपी छोड़ना इसी बात का सूबत है. यानि कांग्रेस के लिए तो सिर्फ एक टेंशन है उपचुनाव जीतना. पर बीजेपी को तो बहुत सी लड़ाइयां लड़नी है. सिंधिया समर्थकों को जितना है. जिसके लिए पहले उन्हें मंत्री बनाना है. फिर उनके मंत्री बनने या टिकट बंटने के बाद अपने पुराने साथियों को संभालना है. और अगर बीजेपी सिर्फ सत्ता में वापसी के जश्न में डूबी रही और असंतोष की अनदेखी करती रही तो हो सकता है कि उपचुनाव आने तक कांग्रेस ज्यादा मजबूत हो जाए.
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