हरियाणा का विधानसभा चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा. क्योंकि वहां भी वो अपने पार्टी के नेताओं की उसी बुरी आदत से जूझ रही है. जिससे दूसरे प्रदेश में भी वो नुकसान ही भुगत रही है. कांग्रेस नेताओं की वही बुरी आदत इस विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार दिलवा सकती है. वैसे भी बीजेपी ने यहां जीत के लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली है. और चुनावी तारीखों के ऐलान से पहले ही अब की बार 75 पार का नारा दे दिया है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां 47 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस की झोली में सिर्फ 15 सीटें ही आई थीं. और इस बार तो नेताओं की बुरी आदत के चलते कहीं कांग्रेस को और भी ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े. दरअसल कांग्रेस हरियाणा में भी अपनी ही पार्टी के नेताओं की आपसी गुटबाजी से परेशान है. अशोक तंवर के हाथ से प्रदेश की कमान छीन कर शेलजा को देने से पार्टी ने खुद ही भीतरघात का खतरा भी बढ़ा लिया है. बताया जा रहा है कि आलाकमान के इस फैसले से तंवर खासे नाराज हैं और अपने स्तर पर अलग ही प्रचार कर रहे हैं. इस फैसले के बाद से प्रदेश में दो धड़े काम कर रहे हैं एक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का और दूसरा तंवर समर्थकों का. इससे साफ है कि प्रदेश में बीजेपी को मात देने से पहले कांग्रेस को अपने ही नेताओं का साधना होगा. ताकि जीत की राह कुछ हद तक आसान हो सके.