कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है. क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया के मामले में भी ये जुमला सही साबित होगी. फिलहाल ऐसा लगता तो नहीं. क्योंकि सिंधिया तो न जाने कब से सब्र किए बैठे हैं. कुछ दिन और गुजरे तो सरकार बने एक साल बीत ही जाएगा. लेकिन आलाकमान हैं कि सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपने के लिए तैयार ही नहीं है. दिल्ली में बैठक हुई. कयास तो यही थे कि सिंधिया इस बार दिल्ली से पीसीसी चीफ बनकर ही लौटेंगे. पर अफसोस इस बार भी सोनिया गांधी ने उन्हें प्रदेश में पार्टी की कमान नहीं सौंपी. अब कहने को तो बहुत सी बाते हैं. कुछ नेताओं का कहना है कि पितृ पक्ष की वजह से सोनिया ने ये फिलहाल फैसला टाल दिया है. पर सौ बात की एक बात तो यही है कि एक बार सिंधिया अपने लक्ष्य से चूक गए. तो कहा तो बस यही जा सकता है कि सिंधियाजी इंतजार अभी और भी बाकी है. लाइव न्यूज एमपी डेस्क.