इस बार कैबिनेट गठन करना शिवराज सिंह चौहान के लिए आसान काम नहीं है. क्योंकि इस बार उन्हें बीजेपी के साथ साथ उन सिंधिया समर्थकों का भी ध्यान रखना है जो नए नए पार्टी में शामिल हुए हैं. अब मुश्किल ये है कि मंत्रिमंडल में सिर्फ 35 मंत्री रखे जा सकते हैं. जिनमें से सिंधिया को जितना वादा किया है उतनी सीट्स देनी ही होंगी. इसके अलावा बीजेपी में अगर किसी दावेदार को छोड़ा तो वो भी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. ऐसे में खबर है कि शिवराज सिर्फ सिंधिया समर्थक और बीजेपी विधायकों से ही कैबिनेट तैयार करना चाहते हैं. इसमें सपा, बसपा औऱ निर्दलीयों को चांस मिलने की गुंजाइश बहुत कम है. वैसे भी बीजेपी को ये यकीन है कि वो 25 में से इतनी सीटें जीत ही लेगी कि सरकार मेजोरिटी में आ जाए. इसलिए भी वो सपा, बसपा और निर्दलीयों को तवज्जो देने के मूड में नहीं है.