साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। प्रज्ञा के पिता चंद्रपाल सिंह एक आर्युवेदिक डॉक्टर थे। प्रज्ञा सिंह के पिता RSS से जुड़े थे। प्रज्ञा को घर से ही हिन्दूवादी शिक्षा मिली। प्रज्ञा सिंह कॉलेज के दिनों में ABVP से जुड़ गईं। अपनी तेज तर्रार भाषण शैली के कारण प्रज्ञा भारती ने बहुत जल्द विद्यार्थी परिषद में लोकप्रियता हासिल कर ली। इसी दौरान स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आने के बाद प्रज्ञा बिंदास जिंदगी छोड़ साध्वी बन गईं। साध्वी का चोला पहनने के बाद प्रज्ञा कई संतों के संपर्क में आईं और प्रवचन करना शुरु कर दिया। प्रज्ञा ने MP छोड़कर सूरत में डेरा डाल दिया और आश्रम बना लिया। प्रज्ञा ने अपने परिजनों को भी इसी आश्रम में बुला लिया और उनके साथ रहने लगी। 2008 में हुए मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में प्रज्ञा ठाकुर को शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया 2017 में बिना सबूत नहीं मिलने पर उन्हें जमानत मिल गई। प्रज्ञा ठाकुर पर आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के भी आरोप लगे लेकिन देवास कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया था।
अब सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी ने प्रज्ञा ठाकुर को भोपाल से लोकसभा का टिकट क्यों दिया। कांग्रेस ने दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया है। पहले बीजेपी की ओर से शिवराज सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर, उमा भारती जैसे नाम उठते रहे लेकिन इनमें से अधिकांश ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। वहीं प्रज्ञा ठाकुर शुरू से ही दिग्गी राजा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तैयार थीं। आखिरकार बीजेपी ने पहले प्रज्ञा ठाकुर को पार्टी में शामिल किया और फिर उम्मीदवार बना दिया। साध्वी को टिकट मिलने के बाद पार्टी के भीतर से ही कई विरोध के स्वर उठ रहे हैं। लोगों का सवाल है कि चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर में बीजेपी को इनमें से कौन सी बात नजर आई। उमा भारती को तिरंगा यात्रा के दौरान गिरफ्तारी के बाद सीएम के पद से हटवाने वाली बीजेपी ने आपराधिक मामलों में जमानत पर बाहर आई साध्वी को कैसे टिकट दे दिया। अब देखना है कि राजनैतिक शुचिता का राग अलापने वाली बीजेपी के वरिष्ठ नेता इस गरल को किस तरह हलक से उतारते हैं।