प्रदूषण से जूझ रही दिल्ली से निपटने में हर तंत्र नाकाम साबित हो रहा है. लेकिन जितने बेबस मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नजर आ रहे हैं. उतना बेबस कोई नजर नहीं आ रहा. मजबूरी भी है एकतरफ पूरी दिल्ली पर फिलहाल कोहरे की सल्तनत है. दूसरी तरफ विपक्ष राजनीतिक तह बनाकर इस कोहरे को चुनाव में लपेटने की कोशिश कर रहा है. अब केजरीवाल भी करे तो क्या करें. रही सही लाचारी इस बात से जाहिर हो गई. ‘दिल्ली में इस समय धुआं ही धुआं है. 30 सितंबर की फोटो देखो और कल रात की देखो. जो कह रहे हैं कि पराली का धुआं नहीं है, मैं उनसे पूछता हूं कि 30 सितंबर और 31 अक्टूबर में क्या बदल गया, सिवाय पराली के? हमनें सब कुछ किया जो हमारे बस में है और आगे भी कर रहे हैं. दिल्ली की जनता को विपक्षी पार्टी गालियां दे रही है, आलोचना कर रही है. एक नेता आज उपवास कर रहे हैं. इतने सीरियस मुद्दे की गंभीरता का मजाक उड़ा रहे हैं. दिल्ली की जनता को गाली देने से प्रदूषण कम नहीं होगा. ‘सोमवार से ऑड ईवन होने जा रहा है. दिवाली पर पटाखे बहुत कम छुटाए गए. स्कूल के बच्चों ने आज बताया कि केवल 15-20% लोगों ने ही पटाखे जलाए, 80% ने नहीं जलाए. विपक्षी पार्टी के नेता सोशल मीडिया पर लोगों को पटाखे जलाने के लिए उकसा रहे थे. अब हम खट्टर सरकार, कैप्टन सरकार और केंद्र सरकार से टाइमलाइन चाहते हैं कि वो हरियाणा और पंजाब में कब तक पराली जलाना बंद कराएंगे.
दीपावली के बाद से ही दिल्ली कोहरे की चपेट में रही सही कसर पराली का धुआं पूरा कर रहा है जिसकी वजह से सांस लेना भी मुश्किल है. जिसका एक और हल सिर्फ ऑड ईवन फॉर्मूला माना जा रहा है. सोमवार से शुरू होने वाला ऑड ईवन का फंडा दिल्ली को कितनी राहत देता है.