कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ से एक बार फिर प्रदेशाध्यक्ष बनने का मौका फिसल गया है. लेकिन इस बार न तो पार्टी आलाकमान ने इस मामले को टाला है न सिंधिया के लेवल पर कोई गलती हुई है. बल्कि खुद सीएम कमलनाथ इसबार मामले को टाल रहे हैं. प्रदेश में होने वाले दो उपचुनाव का हवाला देकर प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान फिलहाल टाल दिया गया है. सुत्रों के मुताबिक खुद कमलनाथ नहीं चाहते कि सिंधिया प्रदेशाध्यक्ष बनें. क्योंकि विधानसभा चुनाव में उन्हें भी साथ रखकर ये चुनाव लड़ा गया था. पर उन्हें नकार भी नहीं सकते. क्योंकि सरकार बनाए रखने के लिए वैसे भी कांग्रेस पाई पाई की तरह विधायकों को जोड़ रही है. ऐसे में सिंधिया की नाराजगी से उनके समर्थित विधायकों के नाराज होने का भी डर है. जिससे सरकार खतरे में आ सकती है. इसलिए फिलहाल कमलनाथ इस पद पर किसी के भी नाम का ऐलान करने से बच रहे हैं. पर ये देखना भी दिलचस्प होगा कि कब तक कमलनाथ ये फैसला टालते रहेंगे और ज्योतिरादित्य कब तक खामोश रहेंगे.