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ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना शिवपुरी सीट से कभी संसदीय चुनाव नहीं हारे. पर पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर उनका भी जमाजमाया साम्राज्य ले उड़ी. पिछले लोकसभा चुनाव में केपी यादव ने ग्वालियर के महाराज का तख्तोताज छीन लिया. मजेदार बात ये है कि यही केपी यादव कभी उस क्षेत्र में महाराज के आगे पीछे घूमा करते थे. और अब उनकी कुर्सी पर जा बैठे हैं. केपी यादव ने एकबार फिर महाराज के पदचिन्हों पर चलने का फैसला कर लिया है. अब यादव भी सिंधिया की तरह पार्टी बदलने वाले हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया पहले कांग्रेस में थे तो यादव ने बीजेपी से चुनाव लड़ा. अब सिंधिया बीजेपी में हैं तो यादव ने कांग्रेस जाने की तैयारी कर ली है. ये खबर इसलिए फैली है कि कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे सचिन यादव, केपी यादव के घर पहुंचे. दोनों नेताओं ने तकरीबन चालीस मिनट तक आपस में बातें की. चुनावी मौसम में जब अटकलों और अफवाहों का बाजार वैसे ही गर्म है उस दौर में यादवों का ये भाईचारा कई खबरों को जन्म दे रहा है. हालांकि मुलाकात के बाद दोनों यादवों ने इसे सामान्य मुलाकात बताया. पर इस बात पर यकीन करना जरा मुश्किल है. ऐसे सियासी माहौल में दो अलग अलग पार्टी के नेताओं की बंद कमरे में मुलाकात कई आशंकाओं को खड़ा करती है. जिसमें सबसे पहली तो यही है कि क्या केपीयादव ने भी पार्टी बदलने का फैसला कर लिया है.