Godse Vivad – कौन था आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी?

हिंदुस्तान, भारत या इंडिया में इन दिनों एक नई बहस छिड़ी हुई है कि आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी कौन था। फिल्म अभिनेता कमल हासन ने नाथूराम गोडसे का जिक्र करते हुए आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी एक हिंदू होने की बात कही है। हालांकि इसी देश में बार-बार कहा जाता है कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। हम न तो गोडसे की तरफदारी कर रहे हैं और न ही ये मानते हैं कि गोडसे ने कोई अच्छा काम किया था और हम महात्मा गांधी के अच्छे कामों से भी पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं। फिलहाल इस आर्टिकल का उद्देश्य महज इस बहस को आम लोगों तक पहुंचाना है कि भारत का पहला आतंकवादी कौन था (भले ही वो किसी भी धर्म का रहा हो)। भारत के सियासी खासतौर पर सोशल मीडिया के गलियारों में यह चर्चा है कि अगर आधुनिक भारत को सिर्फ भारत की आज़ादी से न जोड़ा जाए तो महात्मा गांधी की हत्या से पहले भी कुछ बरस पहले एक महात्मा की हत्या हुई थी और अगर महात्मा गांधी की हत्या एक आतंकवादी कृत्य है तो फिर इस महात्मा की हत्या भी आतंकवादी कृत्य मानी जाएगी और उनका हत्यारा भी आतंकवादी कहा जाएगा इस लिहाज़ से गोडसे के बजाय यह हत्यारा आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी कहा जाना चाहिए। और इस लिहाज से भारत का पहला आतंकवादी है अब्दुल रशीद। अब्दुल रशीद ने महात्मा स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती की हत्या की थी। तरीका बिलकुल वही था जो बाद में गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या के समय अपनाया था। स्वामी श्रद्धानन्द 1920 के दशक में आर्य समाज के प्रमुख थे और हिंदुओं के सबसे बड़े गुरू के रूप में लोकप्रिय थे। स्वामी श्रद्धानंत एक स्वतन्त्रता सेनानी भी थे। और कहा जाता है कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा के रूप में स्थापित करने और यह नाम देने में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। उस ज़माने में हिंदुओं के बीच मौजूद कुरीतियों को दूर करने में आर्य समाज और महात्मा श्रद्धानंद ने महत्वपूर्ण काम किया था। साथ ही वे शुद्धि आंदोलन भी चला रहे थे। यानी कि जिन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपना लिया है उन्हें वापस हिंदू बनाने का काम स्वामी श्रद्धानंद कर रहे थे। उन्होंने हजारों लोगों की हिंदू धर्म में वापसी करवाई लेकिन उनके इस काम से कुछ कट्टरपंथी लोग इतना चिढ़ गए कि उनकी जान लेने की योजना बनाई। 23 दिसंबर 1926 को दिल्ली के चांदनी चौक में अब्दुल रशीद स्वामी जी से समय लेकर मिलने पहुंचा और प्रणाम करने के बाद देशी कट्टे की चार गोलियां उनके सीने में उतार दीं। इसके बाद इतिहास में कई बातें दर्ज हैं जो कि आजकल नेट पर आसानी से खोजी जा सकती हैं। मसलन कांग्रेस नेता आसफ अली ने अब्दुल रशीद की पैरवी की। महात्मा गांधी ने अब्दुल रशीद को अपना भाई बताया और उसे हत्या का दोषी नहीं माना वगैरह लेकिन सवाल ये पैदा हो रहा है कि गांधी जी की हत्या के 21-22 साल पहले हुई एक और महात्मा की हत्या का आरोपी क्या आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी नहीं कहा जा सकता?

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