एक्शन में सरकार, गिरने का डर या बने रहने की कवायद

आचार संहिता खत्म होते ही सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ने लगातार समीक्षा बैठकों का दौर शुरू कर दिया और देखते देखते सरकार ने ढेर सारे फैसले भी ले डाले। आचार संहिता खत्म हुए अभी दस दिन भी नहीं हुए कि सरकार ने सबसे पहले किसानों की कर्जमाफी पर फंसी फाइलो को आगे बढाना शुरू कर दिया है। किसानों के ऊपर लदे मुकदमों को वापस करने को ऐलान किया बल्कि मुकदमों को जल्दी से जल्दी खत्म करने के लिए अलग अलग विभागो की बैठकें भी करा दी… पानी की कमी से जूझ रहे सूबे में राइट टू वाटर जैसे कानून बनाने वादा भी कर डाला…. गांवों और गरीब को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ देने के लिए सरकारी अस्पतालों में ओपीडी के टाइम को बढा दिया… हालांकि सरकार के काम की इस रफ्तार को बीजेपी.. सरकार गिरने का डर बता रही है… वहीं कांग्रेस का कहना है कि जनहित से जुडे काम जल्दी से जल्दी करना उनकी प्राथमिकता है…. बहरहाल कारण जो भी हो कम से कम सरकार की फुर्ती का फायदा सीधे तौर पर जनता को होगा…

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