खुद को प्रदेश का बड़ा और सक्रिय नेता साबित करने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या क्या नहीं कर रहे. वो महाराज जो कभी महलो की आलिशान छाव छोड़ कर बाहर नहीं निकले. वो अब रास्तों की खाक छान रहे हैं. किसानों के हक की आवाज उठा रहे हैं. कच्चे पक्के रास्तों से गुजर रहे हैं और मौका पड़ा तो सिंहासन पर बैठने वाले महाराज जमीन पर बैठकर प्रजा का दुख दर्द सुन रहे हैं. फिर भी कांग्रेस आलाकमान हैं कि उन्हें नजरअंदाज करने पर तुली है. अब एक बार फिर बतौर पीसीसीचीफ सिंधिया की ताजपोशी रोकने का कांग्रेस को नया बहाना मिल चुका है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल सिंधिया और उनके समर्थकों को उपचुनाव तक शांत रहने के निर्देश मिले हैं. और प्रदेशाध्यक्ष का फैसला भी झाबुआ उपचुनाव तक टाल दिया गया है. इससे ये तो साफ है कि अब अक्टूबर भी इंतजार में ही बीत जाएगा. न्यूज लाइव एमपी.