झाबुआ में सीएम कमलनाथ पहुंचे तो कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के पक्ष में चुनाव करने के लिए थे. लेकिन इस पूरे प्रचार के दौरान उन्होंने एक भी बार भूरिया का नाम नहीं लिया. वो पूरे समय पार्टी के नाम पर जोर देते रहे. लेकिन प्रत्याशी का नाम लेना जरूरी नहीं समझा. उनके पूरे संबोधन में कहीं भूरिया के नाम का जिक्र नहीं आया. जिसके बाद से कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें फिर जोर पकड़ने लगी. वैसे तो सीएम कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच संबंध मधुर ही नजर आते हैं. लेकिन भूरिया के नाम को नजरअंदाज करके सीएम ने एक बार फिर इन संबंधों की कड़वाहट उजागर कर दी है . आपको बता दें कि कांतिलाल भूरिया हमेशा से दिग्गी समर्थक माने जाते रहे हैं. खबर तो ये भी है कि दिग्विजय सिंह की पैरवी पर ही लोकसभा हारे भूरिया को टिकट मिला है. ऐसे में सीएम का भूरिया का नाम न लेना कई सवाल खड़े करता है.