बमुश्किल दो दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे. बहुत मुश्किल से पर्चा भर सके. एक दिन पहले तो दल बल के साथ शक्तिप्रदर्शन कर चुके थे. लेकिन ये शक्ति नामांकन कार्यालय में काम नहीं आई. दफ्तर का समय गुजरा और नामांकन भरने का वक्त भी. अगले दिन जब नामांकन भरने पहुंचे तो सीएम पद की सारी हेकड़ी निकल चुकी थी. चुपचाप कतार में बैठ कर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ा. अब वक्त तो गुजारना ही था और जो हुआ उस पर पर्दा डालना भी था तो वहां बैठे हर सदस्य को अपनी फैमिली मान लिया. ट्वीट किया कि कतार में हूं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता. इनमें से बहुत से पहली बार फॉर्म भर रहे हैं. वो गलतियां कर सकते हैं. हमने भी कीं थी पहली बार. उनके साथ इंतजार करने में मजा आ रहा है. ये लोग मेरी फैमिली की तरह हैं. पर कुमार विश्वास को केजरीवाल की फैमिली का ये कॉन्सेप्ट पसंद नहीं आया. और तुरंत प्रतिक्रिया जाहिर की. लिखा फैमिली. जिस अन्ना को पिता कहा, योगेंद्र यादव को बड़ा भाई कहा. दोस्त को छोटा भाई कहा उनके साथ षड्यंत्र करते रहे. अब क्या इन बेचारों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करोगे. परिवार संस्कार और सरोकारों जैसे शब्दों को बख्श दो.