मोदी के सपनो को पर लगाऐंगे केजरीवाल

दिल्ली में केजरीवाल की जीत शायद सबसे बडा झटका थी बीजेपी के लिए । केजरीवाल की
जीत से क्या कांग्रेस क्या दूसरे दल सभी बडे खुश थे खुशी का कारण सिर्फ एक था बीजेपी
की हार। दूसरे राजनैतिक दलो को उम्मीद थी कि केजरीवाल की जीत कही न कही उनकी
जीत है और केजरीवाल के शपथ ग्रहण में वो एक बार फिर एक मंच पर आकर अपनी
ताकत दिखाऐंगे। लेकिन ऐसा नही हुआ जीतते ही केजरीवाल ने रंग और सुर दोनो बदल
दिए। आम आदमी पार्टी के इस मुखअयमंत्री ने ऐलान किया कि उसेक शपथ ग्रहण में केवल
और केवल दिल्ली की जनता ही जाएगी क्योकि उसी जनता ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री
बनाया है। शपथ में दिल्ली की जनता के शरीक होने की बात तो ठीक थी लेकिन केजरीवाल
ने लगे हाथो ऐलान कर दिया कि वो किसी विरोधी दल को नही बुलाऐंगे मतलब साफ था
कि बीजेपी के साथ साथ उन दलो को भी नही जो बीजेपी के खिलाफ एकजुट होते है और
ज्यादातर गैर भाजपा राज्यो में शपथ ग्रहण पर एक मंच पर आकर बीजेपी को अपनी
ताकत दिखाते है। हालाकि कई दलो और नेताओ ने केजरीवाल के इस फैसले का विरोध
किया लेकिन बावजूद इसके केजरीवाल अपने ऐलान पर डटे हैं।

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