महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी बचेगी या जाएगी. ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि उन्हें सीएम की कुर्सी पर बैठे छह महीने पूरे होने वाले हैं. 28 मई को. नियम के मुताबिक उन्हें छह माह में विधानसभा चुनाव लड़ना और जीतना जरूरी था. लेकिन कोरोना की वजह से ऐसा नहीं हुआ. अब दूसरा रास्ता बचा है कि वो विधानपरिषद के जरिए विधानपरिषद पहुंचे. पर वो भी भंग हो चुकी है. ऐसे में अब सिर्फ राज्यपाल का फैसला ही ठाकरे की कुर्सी सलामत रख सकता है. यानि कि राज्यपाल अगर चाहें तो वो उन्हें बतौर मनोनीत सदस्य विधानपरिषद के रास्ते कुर्सी पर काबिज रहने दे सकते हैं. लेकिन खबर है कि राज्यपाल बीएस कोशियारी भी ऐसा फैसला पहले बीजेपी आलाकमान और पीएम नरेंद्र मोदी से पूछ कर ही लेंगे. अब उगर उनकी मंशा हुई तो ही ठाकरे की कुर्सी बच सकेगी. वर्ना तो अंजाम किसी से छिपा नहीं है.