ये तस्वीर पिछले कुछ दिनों से वायरल हो रही है. आरोप सेना या पुलिस जो भी कहें उस पर हैं. आरोप ये कि नागरिकता कानून का विरोध करने वाली महिला के साथ पुलिस ने बदसलूकी की. विरोध की आवाज दबाने के लिए महिला के कपड़े तक फाड़े. इन आरोपों के साथ ये तस्वीर तेजी से ट्रेंड कर रही है. पर असल में इस तस्वीर की सच्चाई कुछ और है. कुछ अखबारों ने इस तस्वीर की गहराई से तफ्तीश की और ढूंढ ही लिया पुलिस को बर्बर बताने वाली इस तस्वीर का सच. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक ये तस्वीर न्यूज एजेंसी रायटर्स ने साल 2008 में पब्लिश की थी. जो दरअसल तिब्बतियों के एक विद्रोह की है. जो कि नेपाल में हुआ युनाइटेड नेशन्स की बिल्डिंग के पास. 24 मार्च 2008 को. यानि ये साफ है कि इस तस्वीर का नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन से कुछ लेना देना नहीं है.