आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे जिसके बारे में आप भी सुनकर हैरान रह जाओगे. जी हां यह मंदिर किसी देवता का नहीं बल्कि चमगादड़ो का है. बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई रामपुर रत्नाकर गांव में चमगादडों की न केवल पूजा होती है. बल्कि लोग मानते हैं कि चमगाद़ड उनकी रक्षा भी करते हैं. इन चमगादडों को देखने के लिए पर्यटकों की भी़ड़ लगी रहती है. यहां लोगों की मान्यता है कि चमगाद़ड समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं.ये चमगाद़ड यहां कब से हैं. इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है. सरसई गांव के लोग बताते हैं कि गांव के एक प्राचीन तालाब के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पे़डों पर ये चमगाद़ड बसेरा बना चुके हैं.उन्होंने बताया कि रात में गांव के बाहर किसी भी व्यक्ति के तालाब के पास जाने के बाद ये चमगाद़ड चिल्लाने लगते हैं. जबकि गांव का कोई भी व्यक्ति जाने के बाद चमगाद़ड कुछ नहीं करते. उन्होंने दावा किया कि यहां कुछ चमगाद़डों का वजन पांच किलोग्राम तक है. गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं. बल्कि इन चमगाद़डों की सुरक्षा भी करते हैं.