CAG की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 17 विभागों के अधिकारियों ने साढ़े चार हजार करोड़ से अधिक के टेंडर 74 कंप्यूटरों का इस्तेमाल निविदा अपलोड करने के लिए किया गया था और उन्हीं कंप्यूटरों से टेंडर भी भरा गया। ऐसा 1921 टेंडरों में किया गया इस हिसाब से 4601 करोड़ के टेंडर अधिकारियों के कंप्यूटर से भरे। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 से 20 लाख तक के 108 करोड़ के टेंडर PWD और WRD प्रणाली से जारी न करके मैन्युअल जारी किये गए। यही नहीं रिपोर्ट में टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों के एक दूसरे के संपर्क में रहने के संकेत मिले हैं। चिप्स की कार्यप्रणाली पर भी CAG ने गंभीर सवाल उठाए हैं। चिप्स ने E tender को सुरक्षित बनाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किये। 79 ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया में दो पैन नंबर इस्तेमाल किए। एक पैन का इस्तेमाल PWD में रजिस्ट्रेशन के लिए और दूसरा ई प्रोक्योरमेंट में किया गया। इन 79 ठेकेदारों को 209 करोड़ के काम दिए गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 1459 निविदाकर्ताओं ने 235 ईमेल id का इस्तेमाल किया इस हिसाब से 309 निविदाकारों ने एक ही ईमेल आईडी इस्तेमाल किया। जबकि सभी विक्रेताओं को यूनिक id देने का प्रावधान किया गया था। सीएजी की इस रिपोर्ट के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बवाल मच गया है।