बिलासपुर जेल में अपने पिता के साथ रहने को मजबूर परी(बदला हुआ नाम) की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब खुद कलेक्टर उसे अपनी कार में बैठाकर इंटरनेशनल स्कूल तक छोड़ने गए। दरअसल परी के पिता को किसी मामले में सजा हुई है और वह सेंट्रल जेल में बंद हैं। परी का कोई और परिजन नहीं होने के कारण उसे भी पिछले छह सालों से जेल में रहना पड़ रहा था। एक दिन जब कलेक्टर संजय अलंग जेल के दौरे पर आए तो उनकी नजर मासूम परी पर पड़ी। कलेक्टर ने उससे बात की तो पता चला कि परी जेल से बाहर आकर पढ़ना चाहती है। कलेक्टर ने उससे वादा किया कि वे उसका एडमीशन अच्छे स्कूल में कराएंगे। कलेक्टर ने शहर के स्कूल संचालकों से बात की और एक नामी स्कूल संचालक ने परी को अपने स्कूल में एडमिशन देने पर सहमति जताई। सोमवार को कलेक्टर खुद जेल पहुंचे और परी को लेकर अपनी कार से इंटरनेशनल स्कूल में छोड़ा जहां परी होस्टल में रहकर पढ़ेगी। परी के एडमिशन की जानकारी मि्लते ही उसके पिता खुशी से रो पड़े। अब कलेक्टर की पहल के बाद जेल में रह रहे 17 और बच्चों को भी जेल से बाहर स्कूलों में एडमिशन दिलवाया जाएगा।