नवजोत सिंह सिद्धू की डिमांड अचानक राजनीतिक पार्टियों में बढ़ गई है. हाशिए पर आए सिद्धू पर कांग्रेस दोबारा डोरे डाल रही है. तो खबरें ये भी आती रहीं कि सिद्धू की वापसी बीजेपी में हो सकती है. जिसकी शुरूआत हो चुकी है. एकाएक सुर्खियों के फेवरेट बने सिद्धू भी खुश ही रहे होंगे ये सोच कर की हर जगह गुरू के ही चर्चे हैं. बस यह ओवरकॉन्फिडेंस पड़ गया भारी और उल्टी पड़ गई गुरू की चाल. जिस बीजेपी से उन्हें दोबारा न्यौता मिलने की चर्चा थी उसी बीजेपी ने सिद्धू के सारे अरमान ठंडे कर दिए हैं जो उन्होंने करतारपुर साहब को लेकर सजाए थे. पाकिस्तान उच्चायोग ने तो सिद्धू को पाकिस्तान जाने का वीजा दे दिया है ताकि वो करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन में शामिल हो सकें. लेकिन मामला अटका दिया है केंद्र सरकार ने. केंद्र से अब तक सिद्धू को पाकिस्तान जाने की अनुमती नहीं मिली है. बिना राजनीतिक मंजूरी के सिद्धू वाघा बॉर्डर पार तो कर सकते हैं लेकिन भारतीय राज्य विधायिका के निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में उन्हें जाने की इजाजत नहीं होगी. यानि वो चले भी गए तो इस यात्रा का कोई राजनीतिक लाभ नहीं ले सकेंगे. तो गुरू ये तो हो गई गुगली.