कारगिल यद्ध को दुनिया के इतिहास में सबसे मुश्किल युद्ध की श्रेणी में रखा जाता है। हमारे शूरवीरों ने अपने जान की आहुति देकर इस युद्ध को जीता था। उन शूरवीरों के पराक्रम की कहानी और युद्ध के किस्से तो बहुत सुनी होगीं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनके पराक्रम का सबसे बड़ा कनेक्शन म.प्र. के जबलपुर से है. जब मई 1999 में पाकिस्तानी सेना ने 5000 सैनिकों के साथ कारगिल के चोटियों पर धोखे से कब्जा कर लिया तब भारत ने उन्हें खदेड़ने के लिए अॉपरेशन विजय शुरु किया. लेकिन दुश्मन के उँचाई पर बैठे होने के कारण भारतीय सेना को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था.. तब सेना ने फैसला किया कि सेना अपने बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल कर उन्हें नीचे से हि मुहतोड़ जबाब देगी इसके लिए उन्हें भारी मात्रा में गोला बारुद की जरुरत थी और उसके लिए जबलपुर स्थित अॉर्डिनेंस फैक्ट्री में गोला बारुद का निर्माण किया गया. इसके लिए यहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दिन-रात एक कर दोगुना उत्पादन किया.. मशीनें बंद नहीं होती थीं.. जबलपुर अॉर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारियों के मन में अपने देश की सुरक्षा के लिए जज्बा हि था की युद्ध के दौरान कभी गोला बारूद की कमी नहीं हुयी..