भोपाल के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा की प्रदेश सरकार सीताजी संबंधी तथ्यों की जांच कराकर हिंदुओं का अपमान कर रही है। सारा देश और दुनिया जानती है कि सीता जी को श्रीलंका की अशोक वाटिका में रखा गया था। यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था और विश्वास से जुड़ा मामला है। लेकिन प्रदेश सरकार इस तथ्य की जांच की बात कह रही है कि सीताजी लंका गई भी थीं या नहीं। यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर कुठाराघात है, उनका अपमान है। किसी सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वह लोगों की आस्थाओं पर चोट करे। और बताया की सांची और अशोक वाटिकादो देशों को जोड़ते हैं। शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि श्रीलंका दौरे के समय मैंने वह स्थान देखा था, जहां सीता जी ने अग्नि परीक्षा दी थी। मन में विचार आया तो श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जी से चर्चा की। वह भूमि एक मॉनेस्ट्री की थी, लेकिन जब मैंने वहां सीता माता का मंदिर बनाने की बात कही, तो वे खुशी-खुशी तैयार हो गए। हमने फैसला किया कि मध्यप्रदेश सरकार शुरू में एक करोड़ रुपए देगी और यहां मंदिर बनेगा। इसी तरह श्रीलंका में बौद्ध धर्म भारत से गया। सम्राट अशोक के बेटे मयंक और बेटी संघमित्रा सांची से ही श्रीलंका गए। इसलिए सांची में बौद्ध यूनिवर्सिटी बनाने का फैसला किया, ताकि धार्मिक पर्यटन के लिए लोग दोनों देशों में आएं-जाएं और उनके संबंध प्रगाढ़ हों। लेकिन प्रदेश सरकार इस योजना पर आगे बढ़ने की बजाय तथ्यों की जांच की बात कह रही है। चाहे श्रीलंका में सीता जी के मंदिर का निर्माण हो, ओंकारेश्वर में भगवान शंकराचार्य जी की प्रतिमा का निर्माण हो, यह ऐसे काम हैं जिन्हें सरकार बदलने के बाद भी बंद नहीं किया जाना चाहिए, जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं सरकार से कहना चाहता हूं ये विषय आस्था के हैं। सरकार आस्था को ठेस न पहुंचाए, वहां मंदिर का निर्माण होना चाहिए।आस्था को चोट पहुंचाती है कांग्रेससरकार से शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश के अपने जीवन मूल्य हैं, परंपराएं हैं, श्रद्धा और आस्था है, कांग्रेस उनको चोट पहुंचाने की कोशिश क्यों करती है। चाहे राम सेतु का मामला हो, सीता जी के मंदिर का निर्माण हो, भगवान शंकराचार्य जी की प्रतिमा का निर्माण हो, अद्वैत वेदांत संस्थान बनाने का सवाल हो, हर मामले में कांग्रेस सरकार का यही रवैया है।